महंगाई की समस्या
महंगाई या मूल्य वृद्धि से आज समस्त विश्व त्रस्त है। भारत भी बढ़ती महंगाई की चपेट में बुरी तरह जकड़ा हुआ है। जीवन उपयोगी वस्तुओं के दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जिससे जन साधारण को अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई के कारण देश के आर्थिक ढांचे पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। महंगाई के निर्मम चरण अनवरत रूप से अग्रसर हैं; पता नहीं ये कब, कहाँ रुकेंगे ।
महंगाई का अर्थ है किसी वस्तु का पहले की दरों पर न मिलना। जैसे आज से एक माह पूर्व कोई वस्तु चार रुपये की मिलती थी आज वही वस्तु सात रुपये की मिलती है अर्थात् उस वस्तु के दाम में तीन रुपये की वृद्धि हो गई। इन तीन रुपयों का बढ़ना ही महंगाई है आज कोई भी वस्तु बाजार में सस्ते दामों पर उपलब्ध नहीं है। समाज का प्रत्येक वर्ग महंगाई की मार को अनिच्छा से सहन कर रहा है। इसका प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं पर अत्यधिक खर्च हो रहा है। धार्मिक, सामाजिक तथा नैतिक मान्यताएँ पीछे रह गई हैं और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो रहा है
मूल्यवृद्धि के अनेक कारण हैं । अर्थशास्त्र की मान्यता है कि यदि किसी वस्तु की माँग उत्पादन से अधिक हो तो मूल्यों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाती है। फिर भी मूल्यों में हुई व्यापक वृद्धि आश्चर्यचकित करने वाली है।
मूल्यवृद्धि का सबसे बड़ा कारण भारत की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना है। अधिक लोगों के लिए अधिक अन्न व वस्त्रों की आवश्यकता होती है। यद्यपि स्वतन्त्रता के पश्चात् खाद्यान्न के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है तथापि बढ़ती जनसंख्या के कारण वह सब प्रगति व्यर्थ हो गई है। भारत की विशाल जनसंख्या को उसकी आवश्यकता से कम वस्तुएँ उपलब्ध होने के कारण उनके मूल्यों में वृद्धि होना स्वाभाविक है।
देश में वस्तुओं का वितरण भी उचित ढंग से नहीं हो पाता। उचित समय पर वस्तुएँ उपलब्ध नहीं हो पाती बहुत सी वस्तुएँ गोदामों में या रास्ते में आते-आते नष्ट हो जाती हैं, जिससे वस्तुओं की कमी हो जाती है और महंगाई बढ़ जाती है।
महंगाई के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। जब मध्यवर्गीय व्यक्ति अपनी प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाता तो मुनाफाखोरी की मनोवृत्ति के कारण कालेधन का बोलबाला होता जाता है, वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है और वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। इन्हीं सब कारणों से मूल्यों में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप जनसाधारण का जीवन-यापन करना अत्यंत दूभर हो जाता है
महंगाई के भयंकर परिणामों को देखकर इन पर काबू पाना आवश्यक हो जाता है। महंगाई की समस्या से निपटने के लिए हमें सबसे पहले जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा तभी सभी को दैनिक उपयोग की वस्तुएँ आवश्यकतानुसार उपलब्ध हो सकेंगी । वस्तुओं की कमी नहीं होगी तो मूल्य वृद्धि भी नहीं होगी। सरकार को कृषि तथा कारखानों में उत्पादन बढ़ाना होगा। जिससे बाजार में वस्तुएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होंगी तो कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी।
हमें आवश्यकता से अधिक वस्तुओं के संग्रह करने की प्रवृति का त्याग करना पड़ेगा तथा घर में वस्तुओं की खपत पर नियंत्रण करना पड़ेगा । इससे मूल्यों पर अंकुश लगेगा। सरकार द्वारा मुनाफाखोरी के विरुद्ध कड़े कानून बनाए जाएं और उन्हें ईमानदारी तथा सख्ती से लागू किया जाए ।
सरकार महंगाई को रोकने के लिए अनेक कदम उठा रही है। उद्योगों तथा कृषि के लिए योजनाएँ बना रही है। सरकार वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ कर रही है इसके लिए सुपर बाजार तथा सहकारी उपभोक्ता भण्डार खोले जा रहे हैं। हमें महंगाई के विरोध में जनमत जागृत करना होगा तभी महंगाई के पैरों में बेड़ियाँ डाली जा सकती हैं।
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